Hartalika Teej Mehndi Design 2023 | हरतालिका तीज

Hartalika Teej पर हम आपके लिए लाए हैं Hartalika Teej Mehndi Design 2023. हरतालिका तीज मेहंदी डिजाइन खास तोर पर हरतालिका तीज को ध्यान में रखते हुए चुनें गए हैं। Hartalika Teej Vrat को दक्षिण भारत में Gowri Habba के नाम से जाना जाता है। जानिए हरतालिका तीज व्रत कब है।

Hartalika Teej

भारत जहां अपनी संस्कृति, धर्म और त्योहारों में विविधता के लिए जाना जाता है, वहीं विभिन्नताओं के होते हुए भी हम सभी अपने अपने रीति रिवाजों को बड़ी आस्था, एकता और विश्वासरुपी सम्बन्धों का निर्वाह करते हुए मनाते हैं। अलग अलग पर्व, व्रत और उपवास भारतीय सस्कृति का अभिन्न अंग हैं। इन्हीं व्रतों में से एक है: हरतालिका तीज जो कि सौभाग्य, सतीत्व, पवित्रता और तपोबल का प्रतीक पर्व है।

Hartalika teej mehndi design.

सावन और भादों मास में तीन तीज आती हैं, हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। श्रावण पूर्णिमा को राखी का पर्व मनाया जाता है। इन चारों त्योहारों पर मेहँदी लगाने का महत्त्व है। हरतालिका तीज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में मनाई जाती है। यह गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाया जाता है।

हरतालिका तीज कब है

हरतालिका तीज का व्रत इस साल 18 सितंबर, 2023 सोमवार को है। प्रात: काल पूजा का मुहूर्त 5:45 AM से 8:12 AM तक है। वैसे तो प्रात: काल का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ है, किन्तु किसी कारणवश प्रात: काल की पूजा न की जा सके तो प्रदोष काल में भी यह पूजा की जा सकती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले प्रारम्भ होता है। अधिक जानकारी के लिए Drikpanchang पर जाएं।

Backhand simple mehndi design.

हरतालिका का अर्थ एवं कथा

हरतालिका शब्द “हरत” और “आलिका” के संयोग से बना है, जिसका अर्थ क्रमशः “अपहरण” और “सखी ” अर्थात सखी द्वारा अपहरण है। पौराणिक कथाओं में हरतालिका तीज व्रत को करने के पीछे मान्यता है कि सखी द्वारा माता पार्वती का हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए हरितालिका तीज का कठिन व्रत करती हैं।

Simple banckhand mehndi design covering wrist.

माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में वरण करने के लिए हिमालय पर्वत पर गंगा के तट पर घोर तप किया। माता पार्वती की कठिन तपस्या को देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी और व्याकुल हो उठे। उसी क्षण नारद मुनि भगवान विष्णु जी की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास पहुंचे। पिता ने प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार कर लिया। माता पार्वती को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी सखी से अपनी पीड़ा का वृत्तान्त व्यक्त किया।

Mehndi design for Hartalika Teej.

पार्वती मां की सहेली उनका हरण कर उन्हें घने वन की एक गुफा में ले गई। जहां भाद्रपद तृतीय शुक्ल पक्ष के दिन हस्त नक्षत्र में मां पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। पूरी रात उन्होंने तपस्या की, जिससे प्रसन्न हो शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और उनको पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन दिया।

हरतालिका तीज की पूजा एवं व्रत

हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी से बनी प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। सुहागिन स्त्रियां सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण कर, सोलह श्रृंगार कर, मेहंदी रचे हाथों से निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत करवा चौथ से भी कठिन होता है, क्यूंकि ये चाँद को देख कर नहीं खोला जाता बल्कि पूरी रात पूजा पाठ करते हुए अगले दिन सुबह शिव पार्वती जी की पूजा कर माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करने के बाद पूर्ण होता है।

Backhand mehndi design covering little fingre.

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, इस व्रत में दिन भर अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। स्त्रियां व्रत का पारण अगले दिन सुबह माता पार्वती को भोग लगाने के बाद जल पीकर करती हैं। इस व्रत को हरतालिका इसलिए कहा जाता है, क्योकि पार्वती की सखी उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी। देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्‍या में लीन रहतीं थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं। इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा।

You Tube Video

कैसे मनाते हैं हरतालिका तीज

हरतालिका तीज को सुहागिन महिलाएं उत्साह व उमंग के साथ मनाती हैं। इस दिन सभी इकट्ठे हो झूला झूलती हैं और भजन गाने का भी रिवाज है। इस दिन मेहंदी लगाने का अलग ही महत्त्व है। मेहंदी डिजाइन में आप अरेबिक डिजाइन, फ्लोरल मेहंदी डिजाइन, भरवां मेहंदी, सिंपल और सादगी से भरे शिव पार्वती जी के चित्रों से युक्त डिजाइन बना सकती हैं। इन्हें आप आसानी से घर पर ही लगा सकती हैं। चूड़ियां सुहागिन स्त्रियां पति की खुशहाली, तरक्की, दीर्घायु व सेहतमंद जिंदगी के लिए पहनती हैं।

Backhand rose mehndi design.

गौरी हब्बा

हरतालिका तीज को गौरी हब्बा के नाम से दक्षिण भारत के कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें महिलाएं माता पार्वती के ही एक रुप माता गौरी की पूजा करती हैं।

Ardhnarishver mehndi design.

हरतालिका तीज और मेहँदी

हरतालिका तीज में बिना मेहंदी के महिलाओं का यह पर्व और श्रृंगार अधूरा माना जाता है। सुहागिन के सौभाग्य की निशानी मेहंदी शुभ लक्षणा है। मेहंदी जहां सोलह श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है, वहीं पति पत्नी के प्यार और समर्पण की भावना के अनूठे संगम का प्रतीक है। मेहंदी लगाने पर भी मान्यता है कि माता पार्वती ने शिवजी को मनाने के लिए सर्वप्रथम यह कठिन व्रत रखा था और अपने हाथों में मेहंदी रचाई थी।

Front hand simple mehndi design.

जब शिवजी ने माता पार्वती के हाथों पर मेहंदी रची देखी तो वे प्रसन्न हो गए और माता पार्वती को स्वीकार कर लिया। इसीलिए मेहंदी का रंग जितना गहरा चढ़ता है कहा जाता है कि पति का उतना ही अधिक प्यार मिलता है , इसीलिए महिलाएं मेहंदी के लगाने के साथ-साथ यह भी सोचती हैं कि मेहंदी का रंग खूब चढ़े। कन्याएं और सुहागिन स्त्रियां भी इसी आस्था के साथ हाथों में मेहंदी रचाती हैं कि उनको मनचाहा वर मिले और अखंड सौभाग्य की मनोकामना पूरी हो।

हरतालिका तीज के बारे में आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर के बताइए। अपने दोस्तों के साथ इस लेख को शेयर करें। हमारे YouTube चैनल बनाव श्रृंगार को सब्सक्राइब करें।

अन्य पढ़ें:

हरतालिका तीज 2023 कब है?

हरतालिका तीज का व्रत इस साल 18 सितंबर, 2023 सोमवार को है। प्रात: काल पूजा का मुहूर्त 5:45 AM से 8:12 AM तक है। वैसे तो प्रात: काल का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ है, किन्तु किसी कारणवश प्रात: काल की पूजा न की जा सके तो प्रदोष काल में भी यह पूजा की जा सकती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले प्रारम्भ होता है।

हरतालिका का अर्थ क्या है?

हरतालिका शब्द “हरत” और “आलिका” के संयोग से बना है, जिसका अर्थ क्रमशः “अपहरण” और “सखी ” अर्थात सखी द्वारा अपहरण है। पौराणिक कथाओं में हरतालिका तीज व्रत को करने के पीछे मान्यता है कि सखी द्वारा माता पार्वती का हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा।

हरतालिका तीज की पूजा एवं व्रत कैसे किया जाता है?

हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी से बनी प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। सुहागिन स्त्रियां सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण कर, सोलह श्रृंगार कर, मेहंदी रचे हाथों से निर्जला व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज कैसे मनाते हैं?

हरतालिका तीज को सुहागिन महिलाएं उत्साह व उमंग के साथ मनाती हैं। इस दिन सभी इकट्ठे हो झूला झूलती हैं और भजन गाने का भी रिवाज है। इस दिन मेहंदी लगाने का अलग ही महत्त्व है। चूड़ियां सुहागिन स्त्रियां पति की खुशहाली, तरक्की, दीर्घायु व सेहतमंद जिंदगी के लिए पहनती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

माता पार्वती का अपहरण हरतालिका तीज और मेहँदी हरतालिका तीज मेहँदी डिज़ाइन हरतालिका तीज कब है