हाथ फटने के कारणों में प्रमुख कारण सर्दी है। सर्दी की ठंडी शुष्क हवाएं हाथों की त्वचा की नमी सोख कर उसे अधिक रूखी बना देती है।

सर्दियों के मौसम में, महिलाओं को गृह कार्यवश सफाई ,बर्तन, कपड़े धोना आदि अनगिनत बार ठंडे और गर्म पानी में काम करना पड़ता है।

गृहकार्य के लिए, हमें रसायनों से युक्त साबुन, डिटर्जेंट का उपयोग करना पड़ता है। इसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे हाथों की त्वचा पर पड़ता है।

करोना काल से ही हाथों को बार-बार धोने की आदत और सैनिटाइजर का अत्यधिक इस्तेमाल भी हाथों को नुक्सान पहुंचता है।

हाथों को बार-बार धोने के बाद हम कठोर तोलिए का उपयोग करते हैं और अपनी त्वचा को सुखाने के लिए कठोर तोलिए से रगड़ने लगते हैं। 

सूरज की सीधी किरणों में अधिक वक्‍त बिताने से हाथों पर कालापन हो जाती है। सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। 

सर्दियों में नाखून टूटने की समस्या, सूखापन, सूजन और उसमें फंगस उत्पन्न होने के साथ नाखूनों की जड़े भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। 

नाखूनों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए उपयोग होने वाले सौंदर्य प्रसाधन जैसे नेलपेंट अदि नाखूनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।